अपनी ज़िंदगी तो देख लो, दूसरों पर तांकझांक करने से पहले || आचार्य प्रशांत (2024)

2025-02-01 1

वीडियो जानकारी: 16.03.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया के प्रभाव पर चर्चा की है, विशेष रूप से युवा पीढ़ी पर। उन्होंने बताया कि कैसे युवा, विशेषकर बच्चे, ब्लॉग्स और व्लॉग्स के प्रति आकर्षित होते हैं और यह एक प्रकार की "बीमारी" बन गई है।

आचार्य जी ने यह भी कहा कि लोग दूसरों की जिंदगी में झांकने के बजाय अपनी जिंदगी पर ध्यान दें। उन्होंने बताया कि ब्लॉगिंग का मतलब है दूसरों की निजी जिंदगी को सार्वजनिक करना, जो आत्मज्ञान और आत्म-सम्मान के खिलाफ है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि असली आत्मज्ञान तब होता है जब हम अपने भीतर की सच्चाई को पहचानते हैं और बाहरी प्रभावों से मुक्त होते हैं।

आचार्य जी ने यह भी कहा कि बच्चों को सही दिशा में बढ़ाने के लिए माता-पिता को अपनी सोच और दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा। अगर माता-पिता खुद सही नहीं हैं, तो बच्चे भी सही नहीं बनेंगे। उन्होंने यह सुझाव दिया कि शिक्षा प्रणाली में आत्मज्ञान और सही जानकारी को शामिल किया जाना चाहिए ताकि बच्चे सही दिशा में बढ़ सकें।

प्रसंग:
~ क्यों आजकल के बच्चों को व्लॉग्स की लत लग गई है?
~ आज के युवा - व्लॉग बनाते हैं, जिसके कारण वो शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं
~ क्यों आज का यूथ अपना करियर व्लोगिंग को मान रहे हैं?
~ शिक्षा के क्षेत्र में भारत इतना पीछे क्यों?
~ क्या भारत की युवा शक्ति की बर्बादी का बहुत बड़ा कारण व्लोगिंग है?
~ सोशल मीडिया पर लोग शॉ ऑफ कर रहे होते हैं, जिससे युवा वही देखकर वैसा ही बनने की कोशिश कर रहे हैं
~ युवाओं के सामने सही आदर्श होना क्यों आवश्यक है?
~ हमारे देश के युवा सोशल मीडिया की ओर जा रहे हैं, यही उनकी बर्बादी का कारण बन रहा है।
~ क्यों हम हमारी दुनिया से ही संतुष्ट नहीं हैं, और एक अय्याशी भरी लाइफ चाहते हैं?
~ क्यों हमें बचपन से सही परवरिश और सही शिक्षा नहीं मिलती?
~ युवा जीवन का सबसे ऊँचा लक्ष्य क्या है?
~ युवा पीढ़ी किस दिशा जा रही है?

संगीत: मिलिंद दाते
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